
दोस्तों, आज के समय में पशुधन किसानों के लिए Extra income का एक अच्छा source माना जाता है। इसी Extra Income की वजह से दुनिया भर के करोड़ों किसान हर साल अरबों की संख्या में पशुओं को पालते हैं। और जिन देशों में जरूरत से अधिक पशुपालन होता है, वो देश दूसरे देशों को अरबों डॉलर के मवेशियों का निर्यात करते हैं। इनमें से ज्यादातर जानवरों का निर्यात मांस और चमड़े के लिए ही किया जाता है। हर साल निर्यात होने वाले इन जानवरों को एक देश से दूसरे देश में हजारों किलोमीटर दूर भेजा जाता है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कैसे हर साल करोड़ों की संख्या में भेड़, बकरी, सुअर और गाय जैसे पशुओं का निर्यात किया जाता है, किन transport के द्वारा इन्हें other countries में पहुंचाया जाता है,
दोस्तों सबसे पहले हम शुरुआत भेड़ पालन से करते हैं। पारंपरिक खेती के साथ ही आज भेड़ पालन का काम भी एक बड़े पैमानें पर किया जा रहा है। भेड़ पालन का कार्य दुनिया के लगभग सभी देशो में किया जा रहा है। भेड़ पालन का काम मुख्य रूप से ऊन के लिए किया जाता है। तय समय अंतराल पर भेड़ के रोएं काट कर ऊन बनाने वाली कंपनियों को बेचा जाता है, जिससे किसानों को मोटी कमाई होती रहती है।
ऊन के अलावा मांस के लिए भी भेड़ पालन किया जाता है। जिन देशों में भेड़ के मांस की Demand ज्यादा होती है वहां भेड़ों का निर्यात किया जाता है।
सबसे अधिक भेड़ पालन करने वाले देशों में चीन पहले नंबर पर है, दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया है जबकि तीसरे नंबर पर हमारा भारत मौजूद है। अपने देश में पिछले कुछ वर्षो में भेड़ पालन व्यवसाय में काफी वृद्धि देखनें को मिली है, वजह साफ है क्योंकि भेड़ पालन में अन्य पशुओं की अपेक्षा लागत कम लगती है और लाभ भी अधिक होता है।
भेड़ एक शाकाहारी पालतू पशु होता है, जो बहुत ही तेजी से बढ़ता है। जैसा कि हमने अभी आपको बताया इसकी सबसे खास बात यह है कि इसके रखरखाव का खर्च भी काफी कम आता है। दरअसल, भेड़ भोजन के रूप में जंगली घास-फूस तथा पेड़-पौधों की हरी पत्तियों को खाकर अपना शरीरिक विकास करते है, कुल मिलाकर आप कह सकते हैं कि इनका आहार काफी सरल होता है। इनके भोजन के लिए इनके मालिक को अधिक परिश्रम नही करना पड़ता है।
भेड़ों को ऊन और मांस के अलावा दूध प्राप्त करने के उद्देश्य से भी पाला जाता है। भेड़ का मांस काफी पौष्टिक होने के साथ ही इसमें कई विटामिन पाए जाते है।
सबसे अधिक मांग इसके ऊन की होती है, जिसके कारण इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है और यही सब वजह है कि आज भेड़ों का पालन बड़े स्तर पर हो रहा है, और उन्हें बड़े स्तर पर निर्यात भी किया जा रहा है।
संयुक्त अरब अमीरात, सउदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान, नेपाल, मालदीव जैसे देशों में बड़े तादात में sheep export किए जाते हैं। इस्लामिक देशों में बकरीद के मौके पर भेड़ों की कुर्बानी भी दी जाती है, इस वजह से बकरीद के आस पास इन देशों में लाखों भेड़ भेजे जाते हैं।
एक देश से दूसरे देश में हजारों किलोमीटर दूर लाखों की संख्या में भेड़ों को Export करना कोई आसान काम नहीं होता है।
इसके लिए बड़े बड़े जहाजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन जहाजों को specially पशुओं के निर्यात के लिए ही बनाया गया होता है।
आइए starting से देखते हैं कि इन्हें कैसे export किया जाता है।
जैसा कि आप देख सकते हैं, भेड़ों को एक्सपोर्ट करने के लिए सबसे पहले इन्हें farm से निकालकर बड़े बड़े ट्रकों में भरा जाता है। इन ट्रकों को एक विशेष प्रकार से design किया गया होता है, ताकि सारी भेड़ों को easily इसमें adjust किया जा सके। जैसा कि आप सब देख सकते हैं, farm से निकालते समय भेड़ें इधर उधर न भागे इसके लिए सीढ़ीनुमा रास्ता तैयार किया गया होता है और इस सीढ़ी को दोनों तरफ से Tin और pipes का इस्तेमाल करके सिक्योर किया गया होता है।
सभी भेड़ों को सही तरह से truck में adjust करने के लिए ट्रक के अंदर के भाग को खांचेनुमा डिजाइन किया गया होता है। यहां सभी भेड़ों को ट्रक में भरने के बाद, ट्रक चालक इन भेड़ों को लेकर निकल पड़ता हैं की Seaport की ओर। जहां से इन सभी भेड़ों को बड़े-बड़े समुद्री जहाजों में भरकर other country में export किया जाता है। बंदरगाह पर पहुंचने के बाद ट्रकों से भेड़ों को उतारकर जहाजों के अंदर पहुंचाने के लिए भी एक सीढ़ीनुमा रास्ता तैयार किया गया होता है। जहाजों के अंदर भेड़ों का खास ध्यान रखने की व्यवस्था होती है। साथ ही इन जहाजों के अन्दर उनके भोजन की भी व्यवस्था होती है, क्योंकि सफर काफी लंबा होता है ऐसे में इन्हें जिंदा और स्वस्थ रखने के लिए इन्हें भर पेट खाना मुहैया कराना जरूरी होता है। जहाज के अंदर पहुंचने के बाद भेड़ें आराम से भोजन करते हुए निकल पड़ती हैं other country में export के लिए।
दोस्तों, अभी हमने देखा कि भेड़ों को किस तरह export किया जाता है अब हम देखेंगे कि बड़ी बड़ी गायों को export करने का तरीका।
दोस्तों, गायपालन एक ऐसा उन्नत व्यवसाय है, जिसे बड़े और छोटे दोनों पैमाने पर किया जाता है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में पशुधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में आज अधिकांश लोग अन्य पशुओं के मुकाबले गायों का ही पालन अधिक करते हैं। गायों को मुख्य रूप से मांस और दूध प्राप्त करनें के उद्देश्य से पाला जाता है।
अगर गायों के प्रमुख निर्यातक देश की बात की जाए तो इसमें भारत, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं वहीं गाय के लिए प्रमुख ग्राहक देश में वियतनाम, मलेशिया, इजिप्ट, इराक, सऊदी अरब, फिलीपींस, इंडोनेशिया, यूएई, अल्जीरिया और रूस जैसे देशों का नाम आता हैं। लाखों की संख्या में गायों को Export करना आसान नहीं होता है। गायों को जहाजों से other countries में export किया जाता है। गायों को जहाज के अलावा एयरप्लेन से भी export किया जाता है।
एयरप्लेन से गायों को Export करने के लिए सबसे पहले Farm से इन बड़े बड़े मवेशियों को हवाई जहाजों तक ले जाना होता है, जिसके लिए ट्रकों का इस्तेमाल किया जाता है।
ये ट्रक्स आकार में काफी बड़े होते है और यह कई पार्ट्स में डिवाइड भी होती है। सारी गायों को बड़ी ही सावधानी से ट्रकों में भरा जाता है। गायों को ट्रक में भरने के बाद ट्रक अच्छे से लॉक कर दिया जाता है, ताकि कोई गाय इधर उधर भाग न सके!
गायों को ट्रक में लोड करने के बाद इन बड़े-बड़े ट्रकों को बहुत ही सावधानी पूर्वक airport तक पहुंचाया जाता है। जैसा कि आप सब देख सकते हैं इन हवाई जहाजों को भी अंदर से मवेशियों को ले जाने के लिए special तरह से design किया गया होता है और इस तरह farm से निकालकर और हवाई जहाजों में भरकर लाखों की संख्या में मवेशियों को other countries में export किया जाता है।
दोस्तों, यहां आपने भेड़ और गायों को तो देख लिया की उन्हें किस तरह export किया जाता है। अब हम देखेंगे कि सुअरों को किस तरह export किया जाता है….
वर्तमान समय में सुअर पालन पशुधन उद्यमियों के लिए एक उभरता हुआ लाभदायक विकल्प है। पूरी दुनिया में काफी बड़े स्तर पर सूअर पालन किया जाता है। सूअर पालन मुख्य रूप से मांस के लिए ही किया जाता है।
सुअर पशुपालन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी भी अन्य पशु की तुलना में सूअर पालन पर आने वाला खर्च कम होता है, साथ ही ये जानवर तेजी से बढ़ते भी हैं।
आपको बता दें कि सुअर एक बार में 5 से 14 बच्चे देने की क्षमता वाला एकमात्र ऐसा पशु है जिसका उपयोग इंसान खाने में करता है। सूअर से मांस तो अधिक प्राप्त होता ही है, और दूसरा इस पशु में अन्य पशुओं की तुलना में साधारण आहार को मांस में परिवर्तित करने की अत्यधिक क्षमता होती है।
इनके आहार के लिए भी आपको किसी खास तरह की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है, ये किसी भी तरह का अनाज या सड़े गले भोजन, चारा, फल, सब्जियां एवं कचड़े तक को खा सकते हैं। इनके मांस में प्रोटीन होने की वजह से इनके मांस की भी मार्केट में काफी डिमांड होती है। सुअर का मांस भोजन के रूप में खाने के अलावा इसका प्रत्येक अंग किसी न किसी रूप में उपयोगी होता है। इसकी चर्बी, त्वचा, बाल, और हड्डियों से कई तरह के सामान तैयार किए जाते हैं। जिस कारण रोजगार की दृष्टि से यह पशु अति लाभदायक सिद्ध होता है।
सूअरों के ग्राहक देशों की बात करें तो सूअर के मांस का सबसे बड़ा बाजार यूरोपीय और अमेरिकी देश ही है। इन देशों में काफी बड़े स्तर पर सुअरों का आयात निर्यात होता है।
अब बात आती है कि इन जानवरों का निर्यात कैसे किया जाता है।
तो बता दें, सुअरों को export करने के लिए भी बड़े बड़े ट्रकों का इस्तेमाल किया जाता है। सूअरों की अपनी संपत्ति के रुप में पहचान करने के लिए इनके मालिक इनके कानों पर एक विशेष प्रकार का टैग लगाते हैं या कई बार ये इनके कानों के कुछ हिस्से को भी काट देते हैं। जिन ट्रकों में भरकर सुअरों को ले जाया जाता है उनमें सूअरों के देखभाल के लिए workers मौजूद होते हैं। इन ट्रकों में सूअरों के भोजन की भी व्यवस्था होती है ताकि इन्हें किसी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो और इस तरह इन सूअरों को ट्रांसपोर्ट की सहायता से Export किया जाता है।
दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए बता दें किसी भी जीवित जानवरों के export or import के लिए export करने वाले देश या फिर import करने वाले देश और कई बार दोनों से ही export permit प्राप्त करना होता है।
दरअसल, Export करने वाले देश या Import करने वाले देश की foreign trade policy के अनुसार जीवित जानवरों के export के लिए एक export permit जारी किया जाता है। दोस्तों, अगर आप भी अपने देश से जीवित जानवरों को export करने के लिए सटीक जानकारी पाना चाहते हैं तो आप इसके लिए concerned authority से संपर्क कर सकते हैं।